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एक रेपिस्ट, बलात्कारी का इकबालिया बयान – मैने ऐसा क्यों किया और मेरा पश्चाताप

May 30, 2017 | by ashish963@gmail.com

मै एक साधारण इंसान हूँ। मै दूसरों से भी सादगी की उम्मीद रखता हूँ। यें तस्वीरें लोग मेकअप, झूठे दोस्तों, बेकार के वाक्यों के साथ ऑनलाइन लिखते हैं। यें चीज़ें मुझे कुंठित कर देती हैं। मै सोचता हूँ कि वास्तविक दुनिया कहाँ है। क्या हम ऐसी कल्पना की दुनिया में जी रहे हैं जो हमने अपने लिए तैयार की है? मैं ऐसा नहीं करता। पर सच्चाई ये भी है कि मुझे ध्यानाकर्षण पसंद है और ये वो चीज़ है जो मुझे आसानी से नहीं मिलती क्योंकि मै बहुत साधारण हूँ। मै अपने फोटो और सेल्फ़ी और अपने जीवन और शिक्षाओं के बारे में, बेकार की चीज़ें ऑनलाइन नही भेजता।

जब मै कोई काम करता हूँ तो मुझे लगता है कि मै इसके लिए नहीं बना हूँ। स्कूल और कॉलेज की बात अलग थी क्योंकि वो तो हमारी शिक्षा के लिए होते हैं। जब मैं कोई काम करता हूँ तो मेरा मन उसमे नहीं लगता क्योंकि इसमें मेरे अस्तित्व को नही आँका जाता। तो मैंने अपनी पहचान बनाने और लोगो का ध्यान आकर्षित करने को एक काम की तरह बना लिया है। मेरे अच्छे कामो से मुझे सराहना मिलती है पर इससे मुझे सम्मान नही मिलता। तो मेरी माँग है सम्मान, ध्यान और हर वो चीज़ जिसके लिए मै अपने उद्देश्य से मिलता हूँ। ओह! मेरा मतलब उन लोगो से है जो मुखौटों के पीछे कृत्रिम जीवन जीते हैं। मेरा साथी मुझसे प्यार करती है और वो सब कुछ देती है जिसकी मुझे जरूरत होती है सेक्स, सम्मान और ध्यान। यद्यपि कभी-कभी मेरा साथी और परिवार मुझे एहसास दिलाते हैं कि वो अपनी इच्छा से सबकुछ मेरे लिए करते हैं और इसलिये नहीं कि मै इसके लायक हूँ। मैं उन्हें दिखाऊँगा कि मैं इसके लायक हूँ।

जब भी मैं अपना लक्ष्य चुनता हूँ तो मैं बहुत सावधान रहता हूँ। जो कोई झूठा है उसे बेपर्दा करना जरूरी है और ये इतना ईर्ष्या भरा है कि उन्हें आइना दिखाना जरूरी है कि वो क्या हैं और दूसरों को अपने से बेहतर क्यों नहीं मानते! मैं नजर रखता हूँ कि वो क्या करते हैं, कहाँ जाते हैं, उनकी पसंद और उनकी कमजोरी क्या है। मैं हिंसक नहीं होता क्योंकि मुझे पता है ये एक मूर्खतापूर्ण काम है।  मैं उन्हें वो चीज़े देने के लिए प्रेरित करता हूँ जो वो बिना पछतावे के दे सकें। सेक्स से मुझे क्षणिक संतुष्टि मिलती है और मैं इसे ऐसे ढंग से करता हूँ जिससे मुझे सम्मान और ध्यान मिल सके।

मेरे लक्ष्य हमेशा एक जैसे नहीं होते, कुछ मेरे सेक्स के आग्रह का विरोध नहीं करते ये मानते हुए कि मैं अपना सब-कुछ उनके सामने खुले रूप में रख दूँगी ( वो इतने भी भोले नहीं होते! आप जानते हैं ना!) कुछ इसका विरोध करते हैं पर मेरे जादूई आकर्षण को पार नहीं कर पाते और अपने आप को मुझे समर्पित कर देते हैं। जबकि कुछ महसूस करते हैं कि वो मुझसे निपट लेंगे पर मुझे उनकी भावनाओं की कोई परवाह नही है। मैं सम्भोग की परवाह नहीं करता। मुझे जो चाहिए वो मैं पाकर रहता हूँ।

मौखिक सहमति, गिड़गिड़ाना, काम-क्रिया और रोना-यें सब क्या हैं? मैं उन्हें अपने साथ सोने और मुझे आनंद देने के लिए उकसाता हूँ, दबाव डालता हूँ, फुसलाता हूँ। वो इस बारे में कुछ नहीं कर सकती चाहे वो मेरी बात सुने या न सुने। मैं उसे अपनी बात सुनने के लिए मजबूर करता हूँ और वो सब कुछ हो जाता है जो मैं चाहता हूँ। इसके बाद मुझे वो सब कुछ मिल जाता है जो मुझे चाहिए और उस समय वो जोर-जोर से साँसे ले रहि होती है। अंत में मेरे शरीर को पूर्ण संतुष्टि मिल जाती है। एक बार सब कुछ हो जाने के बाद सब सामान्य हो जाता है और उनके चेहरे का नकाब हट जाता है और वो थोड़ी शर्मिंदगी और वास्तविकता के साथ जीना सीख जाते हैं और जहाँ तक मेरी बात है क्योंकि मैं एक नर हूँ और मुझे यह करना ही था, ऐसा सोचकर अपने घर चला जाता हूँ।

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